NCERT Solutions for Class 9 Science Chapter 14 Natural Resources (Hindi Medium)

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NCERT Solutions for Class 9 Science Chapter 14 Natural Resources (Hindi Medium)

These Solutions are part of NCERT Solutions for Class 9 Science in Hindi Medium. Here we have given NCERT Solutions for Class 9 Science Chapter 14 Natural Resources.

पाठगत हल प्रश्न (NCERT IN-TEXT QUESTIONS SOLVED)

NCERT पाठ्यपुस्तक (पृष्ठ संख्या 217)

प्र० 1. शुक्र और मंगल ग्रहों के वायुमंडल से हमारा वायुमंडल कैसे भिन्न है?
उत्तर- हमारे वायुमंडल में नाइट्रोजन कार्बन डाइऑक्साइड (0.03% से 0.07% तक), ऑक्सीजन, ऑर्गन और जलवाष्प हैं जबकि शुक्र और मंगल ग्रहों पर मुख्य घटक CO2 है जिसकी मात्रा 95-97 प्रतिशत तक है। इसलिए वहाँ कोई जीवन नहीं है परंतु पृथ्वी पर जीवन है।

प्र० 2. वायुमंडल कंबल की तरह कैसे कार्य करता है?
उत्तर- वायुमंडल कंबल की भाँति निम्न तरीकों से कार्य करता है।

  • वायु उष्मा का कुचालक है। वायुमंडल पृथ्वी के औसत तापमान को दिन के समय तथा पूरे वर्ष भर लगभग नियत (स्थिर) रखता है।
  • दिन के तापमान को अचानक बढ़ने से रोकता है तथा रात के समय ऊष्मा को बाहरी अंतरिक्ष में जाने से रोकता है।
  • वायुमंडलीय ओजोन परत सूर्य के हानिकारक विकिरण UV (Ultraviolet radiation) को स्थल पर आने से रोकता है तथा उसके हानिकारक प्रभाव से बचाता है।

प्र० 3. वायु प्रवाह (पवन) के क्या कारण हैं?
उत्तर- स्थल तथा जल के ऊपर असमान रूप में वायु के गर्म होने के कारण ही पवनें उत्पन्न होती हैं।
जलवाष्प जीवित प्राणियों के क्रियाकलापों और जल के गर्म होने के कारण बनती है।
वायुमंडल में जलवाष्प का बनना तथा वायु के गर्म होने के कारण पवन उत्पन्न होती है।
जमीन के ऊपर की हवा जल्दी गर्म होकर ऊपर उठने लगती है और समुद्र के ऊपर की हवा इस ओर आती है क्योंकि जमीन के ऊपर निम्न दाब का क्षेत्र बनता है। इसके अलावा पृथ्वी की घूर्णन गति तथा पवन के मार्ग में आने वाली पर्वत श्रृंखलाएँ भी हवा के बनने और इसकी दिशा को प्रभावित करती हैं।

प्र० 4. बादलों का निर्माण कैसे होता है?
उत्तर- दिन के समय जलीय भाग गर्म हो जाते हैं तथा बहुत अधिक मात्रा में जलवाष्प बनती है। गर्म वायु अपने साथ जलवाष्प को लेकर ऊपर की ओर जाती है यह फैलती है तथा ठंडी हो जाती है। ठंडा होने से जलवाष्प जल की छोटी-छोटी बूंदों के रूप में संघनित हो जाती है तथा बदलों को निर्माण करती है। जब ये जल की बूंदें बड़ी और भारी हो जाती हैं तो वर्षा, हिमवृष्टि ओले के रूप में नीचे गिरती है।

प्र० 5. मनुष्य के तीन क्रियाकलापों का उल्लेख करें जो वाय प्रदूषण में सहायक है।
उत्तर-

  • जीवाश्म ईंधनों जैसे कोयला और पेट्रोलियम का जलना।
  • लकड़ी, उपले (dung cakes), पत्तों आदि का पूरी तरह न जलना
  • कारखानों, उद्योगों आदि से निकला विषैला धुआँ।

NCERT पाठ्यपुस्तक (पृष्ठ संख्या 219)

प्र० 1. जीवों को जल की आवश्यकता क्यों होती है?
उत्तर- जीवों को जल की आवश्यकता निम्न क्रियाकलापों के लिए पड़ती है

  • शरीर में जीवों के सभी कोशिकीय प्रक्रियाएँ जलीय माध्यम में होती हैं।
  • शरीर के एक भाग से दूसरे भाग में पदार्थों का संवहन घुली हुई अवस्था में होता है।
  • मनुष्य के शरीर का 70 % भार जल के कारण होता है।
  • जल कुछ प्राणियों का आवास भी है।
  • स्थलीय जीवों को शुद्ध जल की आवश्यकता होती है। क्योंकि खारे जल में नमक की अधिक मात्रा होने के कारण जीवों का शरीर उसे सहन नहीं कर पाता है।
  • हमारे शरीर के अंदर की कोशिकाओं में होने वाली अभिक्रियाएँ, उन पदार्थों में होती हैं जपानी में घुले होते हैं।

प्र० 2. जिस गाँव / शहर / नगर में आप रहते हैं वहाँ पर उपलब्ध शुद्ध जल का मुख्य स्रोत क्या है?
उत्तर-
स्थान – जल के मुख्य स्रोत
शहर में – नगरपालिका/नगर निगम जल वितरण प्रणाली
द्वारा। नगर – तालाब, कुएँ नदियाँ एवं नगर वर्षा का संग्रहित जल (टैंक या डैम में), भौम जल आदि।

प्र० 3. क्या आप किसी क्रियाकलाप के बारे में जानते हैं जो इस जल के स्रोत को प्रदूषित कर रहा है।
उत्तर- हाँ, जल के स्रोत को प्रदूषित करने वाले क्रियाकलाप

  • शहर या नगर के नाले का जल और उद्योगों का कचरा नदियों तथा झीलों में प्रवाहित करना।
  • खेती में उपयोग किए गए उर्वरकों तथा पीड़कनाशियों द्वारा।

NCERT पाठ्यपुस्तक (पृष्ठ संख्या 222)

प्र० 1. मृदा (मिट्टी) का निर्माण किस प्रकार होता है?
उत्तर- मृदा निर्माण के कारक : निम्नलिखित हैं :

(i) सूर्य – दिन के समय सूर्य पत्थर को गर्म कर देता है जिससे वे प्रसारित (फैलना) हो जाते हैं। रात के समय ये पत्थर ठंडे हो जाते हैं और संकुचित हो जाते हैं। चूँकि पत्थर का प्रत्येक भाग असमान रूप से प्रसारित और संकुचित होता है। जिससे पत्थर में ऐसा बार-बार होने से दरारें पड़ जाती हैं और अंतत: छोटे-छोटे टुकड़ों में विभाजित हो जाते हैं।

(ii) पानी – पत्थरों की दरार में जल भरने तथा बाद में जम जाने पर दरारें अधिक चौड़ी हो जाती हैं। बहता जल कठोर पत्थरों को भी तोड़ देता है। तथा उन्हें अपने साथ बहा ले जाता है। ये पत्थर आपस में टकराकर छोटे-छोटे कणों में बदल जाते हैं। जल पत्थरों के इन कणों को अपने साथ ले जाता है और आगे निक्षेपित कर देता है। जिससे मृदा का निर्माण होता है।

(iii) वायु- जल की भाँति तेज हवाएँ भी पत्थरों को तोड़ देती हैं। पत्थर एक दूसरे से टकराने के कारण टूटते हैं। वायु जल की ही तरह बालु को एक स्थान से दूसरे स्थान तक उड़ा ले जाती है।

(iv) जीवित जीव – लाइकेन पत्थर की तरह उगते हैं। वे एक पदार्थ छोड़ते हैं जो पत्थर की सतह को चूर्ण के समान कर देता है तथा मृदा की एक पतली परत का निर्माण करता है। इस सतह पर मॉस (moss) जैसे दूसरे छोटे पौधे उगने लगते हैं और ये पत्थर को और अधिक तोड़ देते हैं। कभी-कभी बड़े पेड़ों की मूलें दरारों में चली जाती हैं जो इसे चौड़ा कर देती हैं।

प्र० 2. मृदा-अपरदन क्या है?
उत्तर- उपरि मृदा (Top soil) का वायु, जल द्वारा स्थानांतरित होना मृदा अपरदन कहलाता है। तेज़ हवाएँ – एक स्थान से दूसरे स्थान तक मृदा के कण ले जाती हैं। तेज बहता हुआ जल-मिट्टी में गड्ढे बना देते हैं जिसके कारण मृदा-अपरदन होता है। जंगलों की कटाई तथा पशुचारण द्वारा भी मृदा-अपरदन होता है।

प्र० 3. अपरदन को रोकने और कम करने के कौन-कौन से तरीके हैं?
उत्तर- अपरदन को रोकने और कम करने के निम्न तरीके हैं-

  • घास एवं वनस्पति स्थल बढ़ाकर-इससे ऊपरी सतह की मिट्टी, जल या वायु द्वारा बहकर या उड़कर नहीं जा पाती है।
  • वृक्षारोपण-पौधों की जड़े मिट्टी को कसकर पकड़े रहती हैं जिससे अपरदन नहीं हो पाता है।
  • सोपानी खेती (Terrace farming)
  • पशुचारण को नियंत्रित कर (cheeking the overgrazing by animals)
  • नदियों के किनारे मजबूत बाँध बनाकर (Embankment)
  • खेतों में समुचित जल निकास व्यवस्था द्वारा (Drainage canals)
  • सघन खेती द्वारा।

NCERT पाठ्यपुस्तक (पृष्ठ संख्या 227)

प्र० 1. जल-चक्र के क्रम में पानी की कौन-कौन सी अवस्थाएँ पाई जाती हैं।
उत्तर- जल-चक्र के क्रम में पानी की निम्नलिखित अवस्थाएँ पायी जाती हैं

  • द्रवीय अवस्था (जल) – विभिन्न जल स्रोतों; जैसे-झीलों में, नदियों में, भौम जल, समुद्रों में, तालाबों में आदि।
  • गैसीय अवस्था (जलवाष्प) – जल स्रोतों से वाष्पीकरण होता है तथा पत्तियों से वाष्पोत्सर्जन।
  • बादल – संघनित जलवाष्प बादलों में मौजूद होते।
  • ठोस (बर्फ) – ओले (हिमपात) बर्फबारी आदि के रूप में।

प्र० 2. जैविक रूप से महत्त्वपूर्ण दो यौगिकों के नाम दीजिए जिनमें ऑक्सीजन और नाइट्रोजन दोनों पाए जाते हैं?
उत्तर- जैविक रूप से महत्त्वपूर्ण दो यौगिक जिनमें ऑक्सीजन और नाइट्रोजन दोनों पाए जाते हैं; वे निम्न हैं :

  1. न्यूक्लिक अम्ल (DNA तथा RNA)
  2. प्रोटीन

प्र० 3. मनुष्य की किन्हीं तीन गतिविधियों को पहचानें जिनसे वायु में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ती है।
उत्तर- तीन क्रियाकलाप निम्नलिखित हैं

  • जंतुओं द्वारा श्वसन प्रक्रिया में CO2 गैस मुक्त होती है।
  • जीवाश्म ईंधनों; जैसे-कोयला, पेट्रोल, डीजले आदि को जलाना।
  • पेड़ काटना (deforestation)

प्र० 4. ग्रीन हाउस प्रभाव क्या है?
उत्तर- कुछ गैसै मुख्यत: CO2 और मेथेन पृथ्वी के वायुमंडल से उष्मा को बाहर जाने से रोकती हैं। वायुमंडल में इस प्रकार की गैसों में वृद्धि से संसार का तापमान बढ़ जाता है। इस प्रकार के प्रभाव को ग्रीन हाउस प्रभाव कहते हैं।

प्र० 5. वायुमंडल में पाए जाने वाले ऑक्सीजन के दो रूप कौन-कौन से हैं?
उत्तर-
(i) ऑक्सीजतन के अंणु : O2 (द्विपरमाण्विक अणु)
(ii) ओजोन : O3 (त्रिपरमाण्विक अणु)

पाठ्यपुस्तक से हल प्रश्न (NCERT TEXTBOOK QUESTIONS SOLVED)

प्र० 1. जीवन के लिए वायुमंडल क्यों आवश्यक है?
उत्तर- जीवन के लिए वायुमंडल अनेक कारणों से आवश्यक हैं, उनमें से कुछ निम्न हैं :

  • ऑक्सीजन श्वसन ज्वलन (burning) एवं दहन (combustion) के लिए जरूरी होता है।
  • प्रकाशसंश्लेषण प्रक्रिया के लिए पौधों को CO2 वायुमंडल से मिलता है।
  • ओजोन परत हानिकारक U.V. किरणों से हमारी सुरक्षा करती है। यह परत इन किरणों को अवशोषित कर लेती है और पृथ्वी की सतह तक इसे पहुँचने से रोकती है।
  • इसमें O2, CO2, N2 आदि गैसें पाई जाती हैं जो विभिन्न जैव प्रक्रियाओं के लिए अनिवार्य होता है।
  • जल में घुलनशील CO2 कार्बोनेट का निर्माण करती है जो जलीय जीवों के कवच (Shells) के निर्माण के लिए जरूरी होता है।
  • दिन के तापमान को अचानक बढ़ने से रोकता है तथा रात के समय ऊष्मा को बाहरी अंतरिक्ष में जाने से रोकता है।

प्र० 2. जीवन के जल क्यों अनिवार्य है?
उत्तर-

  • पानी एक अद्भुत द्रव है जिसे सार्व-विलायक कहा जाता है। यह पौधों तथा जंतुओं के शरीर में सभी चीजों को घोल लेता है।
  • जीवों के शरीर के भीतर पदार्थों का संवहन घुली हुई अवस्था में होता है।
  • लगभग सभी प्राणियों को जीवित रखने के लिए जल की आवश्यकता होती है।
  • जल कुछ जंतुओं/पौधों हेतु आवास (Habitat) का कार्य करता है।
  • हमारे शरीर के अंदर सभी कोशिकीय प्रक्रियाएँ जलीय माध्यम में होती हैं।
  • पौधों को सिंचाई के लिए पानी आवश्यक होता है। इसके कारण ही बीजों का अंकुरण संभव होता है।
  • हमारे शरीर के भार का 70% जल के कारण है।
  • पानी का उपयोग पीने, नहाने, धोने सफ़ाई करने, मछली संवर्धन, दवाई बनाने जैसे अनेक कार्यों में होता है।
  • जलीय जंतु; जैसे-मेंढक, मछली आदि जल में घुली हुई ऑक्सीजन द्वारा श्वसन क्रिया संपन्न करते हैं।
  • प्रकाशसंश्लेषण क्रिया के लिए भी जल आवश्यक होता है।

प्र० 3. जीवित प्राणी मृदा पर कैसे निर्भर हैं? क्या जल में रहने वाले जीव संपदा के रूप में मृदा से पूरी तरह स्वतंत्र हैं?
उत्तर- मृदा खनिजों का मिश्रण है जिसमें खनिज, ह्युमस (Humus), जल तथा वायु होते हैं। पौधे अपना खनिज पोषक तत्व जल, वायु, मिट्टी से प्राप्त कर भोजन बनाते हैं। शाकाहारी जीव पौधों पर तथा मांसाहारी जीव शाकाहारी जीवों पर निर्भर करते हैं। इसके अलावा मृदा में अनेक जीव जैसे केंचुए, चीटियाँ, दीमक, बैक्टीरिया और फंजाई आदि भी पाए जाते हैं। जलीय जीव भी मृदा से पूर्णतः स्वतंत्र नहीं हैं। वे भी मृदा पर निर्भर करते हैं। सूक्ष्मजीव (जैसे फंजाई बैक्टीरिया) जो समुद्र के निचले परत (bottom sedidonts) में पाए जाते हैं, सड़े-गले जीवों, कार्बनिक पदार्थों को विघटित कर अकार्बनिक पदार्थों [खनिज (minerals)] में बदल देते हैं। ये खनिज जल में घुलकर जलीय पौधों के लिए पोषक तत्व प्रदान करती है और अप्रत्यक्ष रूप से जंतुओं को भी। इसके अलावा पोषक तत्व मृदा से बहकर भी जल में चले जाते हैं।

प्र० 4. आपने टेलीविज़न पर और समाचारपत्र में मौसम संबंधी रिपोर्ट को देखा होगा। आप क्या सोचते हैं कि हम मौसम के पूर्वानुमान में सक्षम हैं?
उत्तर- हाँ, हम मौसम के पूर्वानुमान में सक्षम हैं। वर्षा का पैटर्न पवनों के पैटर्न पर निर्भर करता है। इसलिए निम्न दाब तथा उच्च दाब के क्षेत्र का अध्ययन करके वर्षा का पूर्वानुमान कर सकते हैं।

अतः किसी स्थान के तापमान, आर्द्रता, वायु की गति (wind speed) तथा कंप्यूटर में संग्रहित पूर्व वर्षों के डाटा के आधार पर मौसम वैज्ञानिक (meteorologists) मौसम के पूर्वानुमान में सक्षम होते हैं। इसमें सैटेलाइट भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

प्र० 5. हम जानते हैं कि बहुत-सी मानवीय गतिविधियाँ वायु, जल एवं मृदा के प्रदूषण-स्तर को बढ़ा रहे हैं। क्या आप सोचते हैं कि इन गतिविधियों को कुछ विशेष क्षेत्रों में सीमित कर देने से प्रदूषण के स्तर को घटाने में मदद मिलेगी?
उत्तर- हाँ, प्रदूषण के स्तर को घटाने में कुछ अंश तक सहायता मिलती है। इससे मृदा प्रदूषण को तो बिलकुल कम किया जा सकता है परंतु जल और वायु प्रदूषण को नियंत्रित करना कठिन होता है। जैसे वायु प्रदूषण के कारणः-

  • अम्लीय वर्षा
  • वैश्विक ऊष्मीकरण ग्रीन हाउस गैसों (CO2 मिथेन) के कारण होता है।
  • ओजोन परत में छिद्र (CFCs) के कारण।

उपर्युक्त सभी का प्रभाव पर्यावरण पर व्यापक रूप से होता है। इसी प्रकार, प्रदूषित जल नदियों, जलाशयों, समुद्रों में दूर-दूर तक बहकर चली जाती हैं भौम जल (Underground water) नालों, उद्योगों के कचरे (Industrial wastes), कृषि में प्रयुक्त कीटनाशकों, उर्वरकों द्वारा बड़े क्षेत्र को प्रभावित करती है।

प्र० 6. जंगल वायु, मृदा तथा जलीय स्रोत की गुणवत्ता को कैसे प्रभावित करते हैं?
उत्तर- जंगल की भूमिका वायु

  • यह प्रदूषण को अवशोषित कर वायु का शुद्धीकरण करता है।
  • CO2 और O2 का समुचित अनुपात बनाए रखने में सहायता करता है (प्रकाश संश्लेषण द्वारा)।
  • यह वाष्पोत्सर्जन क्रिया द्वारा बादल निर्माण तथा आस-पास के परिवेश का तापमान कम करता है।

मिट्टी/मृदा

  • पौधों की जड़ें मिट्टी को मजबूती से जकड़े रखती है। फलतः ये मृदा अपरदन को नियंत्रित करती हैं।
  • मिट्टी की गुणवत्ता पौधों और जंतुओं के मृत अवशेषों के विघटन द्वारा ह्यूमस निर्माण से अच्छी होती है।
  • मृदा के ऊपर वनस्पति होने के कारण मिट्टी के अंदर जल रिसाव (Percolation) अच्छी तरह होता है। जिससे भौम जल के स्तर में वृद्धि होती है।
  • भूमि का खिसकना (land slides) नियंत्रित होता है।

जल

  • जंगल के कारण वर्षा अधिक होती है।
  • बाढ़ नियंत्रण में सहायता करता है।
  • भौम जल में वृद्धि करता है।
  • जल-चक्र और पृथ्वी के तापमान का नियमन करता है।

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